पंजाब में डीए को केंद्रीय पैटर्न से अलग करने की तैयारी तोहफा नहीं ये है खतरे की घंटी
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October 29, 2013 | NEWS | Post by: admin
28/10/13•अमर उजाला ब्यूरो
चंडीगढ़। पंजाब सरकार ने 8 फीसदी डीए को भले ही दिवाली के तोहफे के तौर पर पेश किया है, परंतु राज्य के कर्मचारी संगठनों ने
इसको बड़े खतरे के रूप में देखा है। इसलिए कर्मचारी संगठनों ने 29 अक्तूबर को सेक्टर-17 में और भी जोरशोर से रैली करने का फैसला किया है।
पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री लछमन सिंह गिल ने 15 दिसंबर 1967 को कर्मचारियों की फेडरेशन के साथ हुए समझौते में राज्य के कर्मचारियों के डीए को कें द्र सरकार के पैटर्न के साथ जोड़ने की घोषणा की थी।
यह तरीका 1972 तक चलता रहा था लेकिन ज्ञानी जैल सिंह के मुख्यमंत्री बनने के बाद इसको डी लिंक करने का फैसला ले लिया गया था। 1973 में पंजाब के कर्मचारियों की डीए की तीन किस्तें नहीं दी गई थी। कर्मचारियों ने 9 जनवरी 1974 को एक ही मुद्दे पर जबरदस्त हड़ताल की थी। राज्य सरकार ने फरवरी 1974 को फिर से डीए को केंद्रीय पैटर्न के साथ लिंक कर दिया था।
कर्मचारी आंदोलनों में कई बार डिसमिस हुए बुजुर्ग नेता रणबीर सिंह ढिल्लों ने कहा कि बादल सरकार इन दिनों फिर से उसी रास्ते पर चल रही है क्योंकि इन्होंने जनवरी 2013 के डीए की किस्त की बात की है और उसका पैसे के बारे भी स्पष्ट नहीं है। जुलाई के दस फीसदी डीए पर सरकार ने चुप्पी साध ली है। यह कदम डीए को केंद्रीय पैटर्न से डी लिंक करने वाला है। इस लिए कर्मचारी 29 को बड़ा प्रदर्शन करेंगे और यह संघर्ष की शुरूआत होगी। गौरतलब है कि 29 को चार बड़ी कर्मचारी फेडरेशनों ने मिलकर रैली कर रही हैं और 28 अक्तूबर को सज्जन सिंह ग्रुप भी इन्हीं मुद्दों पर अलग से रैली कर रहा है।
•कर्मचारियों को होने लगा खतरे का आभास
•कर्मचारी कल चंडीगढ़ के सेक्टर-17 में करेंगे रैली







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